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रहस्यमाई चश्मा भाग - 9




अपना निवाला उनको दे देता था शुभा को लगा की उसके बेटे के सद्कर्म आज उसके सामने उसकी माँ कि भूख के लिए शायद अपना निवाला देने ही आया हो शुभा ने ज्यों ही रोटी खाने के लिये उठाई उसकी नज़रो के सामने पल भर में पूरा अतीत की गूंज और दृश्य दृष्टीगत हो गए उसकी पांचवी वर्ष गाँठ की।

सुबह माँ सुलोचना ने पिता यशोवर्धन से कहा था कि बिटिया आज पांच वर्ष की हो गयी है आज आप अपने सारे कर्मचारियों को छुट्टी देंगे और सारा कारोबार मिल आफिस बंद रखेंगे और शाम को शहर के हर मंदिर में शुभा अपने हाथो से गरीब असहायों को भोजन कराएगी और सुनो जी सारी व्यवस्था तुरंत करते हुए शहर के अस्पताल में भी आज गरीबों को मुफ़्त दावा आदि आप बतवायेंगे वहाँ शुभा बिटिया नहीं जायेगी वहां आप ही जाओ जी!

    पिता यशोबर्धन ने माँ सुलोचना की बात का तुरंत पालन करने हेतु मुनीब मनेजर को तलब किया सुबह नौ बजते बजते यशोवर्धन निवास पर मुनिव मैनेजर और उनके व्यवसाय में कार्यरत कारिंदो की भीड़ एकत्र हो गयी यशोवर्धन ने आपनी पत्नी क़ि इच्छा के अनुसार सबको जिम्मेदारियां सौंपी और खास हिदायत दी कि बिटिया के पांच वर्ष पूर्ण करने कि ख़ुशी में मैथिल संस्कृति संस्कारों से और मिथिलांचल मिटटी की खुशबु अवश्य दिखनी चाहिए! हम लोगो के यहाँ जन्म दिन मनाने का रिवाज तो है नहीं फिर भी शेरपुर शहर को यह तो मालुम ही होना चाहिए कि यशोवर्धन सुलोचना की बेटी अब पांच वर्ष पूर्ण कर शहर के संभ्रांत शहरी के गर्व कि अनुभूति करने लायक हो गयी है अभिमान तो अच्छी बात है नहीं लेकिन यह विषय अवसर अभिमान का ही है।

अपने सारे कारिंदों को उचित दिशा निर्देश देने के बाद यशोवर्धन स्वयं पंडित लेखराज के पास गए और उनसे बड़ी विनम्रता पूर्वक आज के लिए विशिष्ठ अनुष्ठान पूजन के लिए सादर निमंत्रित किया।
यशोवर्धन और सुलोचना स्वयं बिटिया शुभा के लिये नए परिधांन खरीदने गए अमूमन दोनों का घर से बाज़ार निकलना नहीं हो पाता क्योकि इतने उनके पास घरेलु हर काम करने वाले विश्वसनिय कारिंदो कि फ़ौज थी ।

दोनों जब बाज़ार जाने लगे तब शुभा के दो बड़े भाई संकल्प और संवर्धन ने भी जिद्द किया कि वे दोनों भी बाज़ार साथ जाएंगे और बहिनी के लीये अपनी पसंद का कोई सामान खरीदेंगे यशोवर्धन और सुलोचाना ने बच्चों को साथ ले जाने कि हामी भर दी।

संकल्प और संवर्धन दोनों अपने माँ बाबूजी के साथ बाज़ार गए बाज़ार पहुंचकर शेरपुर कि सबसे बड़ी और महँगी दूकान पर गए दूकान के मालिक सेठ चेतन लाला ने ज्यों ही देखा की शहर के मसहूर रईस यशोवर्धन जी खुद उनकी दूकान पर चल कर आ रहे है तो चेतन लाला खुद दूकान के निचे उतरकर यशोवर्धन जी के पास गए और जोरदार स्वागत करते हुये बोले क्या बात है आप स्वयं मेरी लक्ष्मी घर मतलब दूकान पर आये आप हुकुम करते मैं पूरी दूकान लेकर आपके हुज़ूर में पेश हो जाता ।
यशोवर्धन ने बड़े ही विनम्रता पूर्वक जबाब दिया आज हमारे घर की लक्ष्मी शुभा बिटिया पुरे पांच साल कि हो गयी जब से उसका शुभ् आगमन हमारे घर आँगन में हुआ है तब से हमारे कारोबार प्रगति प्रतिष्ठा में दिन रात बृद्धि हुई है अतः हम लोग अपने परिवार कि किस्मत कि लक्ष्मी शुभा के पांच वर्ष होने पर ख़ास पूजन का आयोजन रखा है!

उसी के लिए ख़ास पोशाक खरीदने आपके पास आये है आप आपनी दूकान का सबसे खूबसूरत कीमती पोशाक हमारी रानी के लिये दे ताकि वह आपके दिये पोशाक में शेरपुर कि सबसे खूबसूरत और ख़ास बेटि कि तरह दिखे सेठ चेतन लाला ने बड़े सम्मान के साथ यशोवर्धन और सुलोचना को अपनों दूकान में खासम ख़ास का स्थान दिया और स्वयं स्वयं शुभा बिटिया के लिए कपड़े दिखने लगे।

एक से बढ़कर एक कीमती पोशाक सेठ चेतन लाल ने दिखाए उनमे से पांच विशेष पोशाकों का चयन हुआ यशोवर्धन ने कीमत चुकाने के बाद चलते समय सेठ चेतन लाल से बोले लाला जी अगर आपको व्यवसाय से फुर्सत मिल जाय तो आप भी बिटिया शुभा को आशिर्बाद देने शाम को पधारे । सेठ चेतन लाल के यहाँ से फारिग होने के बाद सुलोचना ने संकल्प और सम्बर्धन से पूछा तुम लोग अपनी छोटी बहन को क्या तोहफा देना चाहते हो चलो खरीद देते है दोनों भाई एक साथ बोल उठे हम लोग शुभा को सोने कि राखी या कड़ा देना चाहते है जिसमे हीरे का नग लगा हो सुलोचना और यशोवर्धन बेटो का बहन के प्रति भाव भावना और स्नेह को देख इनकार नहीं कर सके और उनकी पसंद खरीदने जौहरी लाला वीर चंद के दूकान गए लाला वीर चंद यशोवर्धन जी के घर किसी भी शुभ कार्य में स्वयं हीरे जवाहरात लेकर जाते थे आज उन्हें यशोवर्धन जी को स्वयम् अपनी ड्योढ़ी पर देख आश्चर्य भी हुआ और सुखद अंनुभूति वे स्वयं दौड़े दौड़े यशोवर्धन जी के पास गए और बोले मालिक आप हमे बुलवा लिया होता आपने आने कि तकलीफ क्यों कि सुलोचना देवी ने बड़े आदर भाव से कहा आज बिटिया के प्यार ने इन्हें एहसास करा दिया कि बेटी का बाप होना कितने फक्र कि बात है!

 आज हम लोग इसी एहसास के अभिभूत स्वयं बिटिया के लिये आपकी दूकान से उसके भाईयों की पसंद का स्नेह उपहार ख़रीदने आये है । संकल्प और संवर्धन ने अपनी छोटी बहन के लिए अपनी पसंद का तोहफा को बताया लाला वीर चंद तुरंत उनकी पसंद का तोहफा दिखाना शुरू किया अनेको आभूषण को देखने के बाद संकल्प और संवर्धन ने अपनी छोटी बहन के लिये तोहफे पसंद किया हीरा जड़ित कडा कीमत का भुगतान करने के बाद यशोवर्धन और सुलोचना सेठ वीर चंद से कहना नहीं भूले कि आज उनकी लाडो शुभा पाँच वर्ष कि हो गयी है!

 उस उपलक्ष में घर पर पूजा पाठ का आयोजन है अतः दूकान के कार्यो से खाली होकर आना न भूले।यशोवर्धन सुलोचना संकल्प और संवर्धन जब तक बाज़ार से लौट कर घर गए तब तक दिन के एक बज चुके थे ।

 पंडित लेख राज पूजन कि सामग्री के साथ पहले ही पधार चुके थे ।शुभा को तो प्रतिदिन ही घर में खास प्यार दुलार मिलता उसे एहसास ही नहीं था कि आज क्या ख़ास बात है वह हर दिन कि तरह मगन आज भी सुबह अपने बाबूजी और माई का स्नेह आशिर्बाद मिला था पांच साल कि फूल सी बेटी को इससे ज्यादे क्या एहसास हो सकता था कि सब उसको पाकर खुश है और वह सबके बिच खुश ।पंडित लेख राज पारिवारिक पुरोहित थे उन्होंने लगभग आदेसात्मक लहजे में कहा की पूजा का मुहूर्त निकल जाएगा आपको मालूम है शुभा बिटिया का इस घर में आगमन आज से ठीक पांच वर्ष पूर्व प्रातःदो बजकर छियालीस मिनट पर हुआ था और आज दिन में तीन बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त है ।



जारी है




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3 Comments

kashish

09-Sep-2023 07:54 AM

शब्दों मे अशुध्दिया है। आगे से इस बात का ध्यान रखे। बाकी ये भाग अच्छा लिखा है।

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Varsha_Upadhyay

12-Jul-2023 08:57 PM

शानदार भाग

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